अजा एकादशी व्रत करने की विधि ,महत्व और कथा[[/b]/b] घर में पूजा की जगह पर या पूर्व दिशा में किसी साफ जगह पर गौमूत्र छिड़ककर वहां गेहूं रखें। फिर उस पर तांबे का लोटा यानी कि कलश रखें। लोटे को जल से भरें और उसपर अशोक के पत्ते या डंठल वाले पान रखें और उसपर नारियल रख दें। इसके बाद कलश पर या उसके पास भगवान विष्णु की मूर्ति रखें और भगवान विष्णु की पूजा करें। और दीपक लगाएं लेकिन कलश अगले दिन ही हटाएं। कलश को हटाने के बाद उसमें रखा हुए पानी को पूरे घर में छिड़क दें और बचा हुआ पानी तुलसी में डाल दें। अजा एकादशी पर जो कोई भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करता है। उसके पाप खत्म हो जाते हैं। व्रत और पूजा के प्रभाव से स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है। इस व्रत के दौरान एकादशी की कथा सुनने से ही अश्वमेघ यज्ञ का फल मिलता है। इस व्रत को करने से ही राजा हरिशचंद्र को अपना खोया हुआ राज्य वापस मिल गया था और मृत पुत्र फिर से जीवित हो गया था। अजा एकादशी व्रत करने से व्यक्ति को हजार गौदान करने के समान फल प्राप्त होते हैं।
युधिष्ठिर ने पूछा- हे भगवान! आपने कमदा एकादशी का महत्व बता कर हम बड़ी कृपा की। अब कृपा करके यह बतलाइए कि सावन मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी क्या नाम है उसकी विधि क्या है और उसमें कौन-से देवता का पूजन किया जाता है। भक्तवत्सल भगवान श्रीकृष्ण बोले- हे राजन! इस एकादशी का नाम पुत्रदा एकादशी है। इसमें भी भगवान नारायण की पूजा की जाती है। इस चर और अचर संसार में पुत्रदा एकादशी के व्रत के समान दूसरा कोई व्रत नहीं है। इसके पुण्य से मनुष्य तपस्वी, विद्वान और लक्ष्मीवान होता है।
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gaiacortes replied
261 weeks ago